Plague Disease: 21 वी सदी में ‘कोरोना वायरस’ दुनिया के लिए वैश्विक महामारी के रूप में उभरकर सामने आया है, जिसका प्रकोप अभी तक जारी है। दुनियाभर में इस महामारी की चपेट में आने से हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके है। कोरोना से पहले भी दुनिया में कई ऐसी बीमारियां आई है, जिन्होंने अपना आतंक फैलाया है। ऐसी है एक बीमारी थी ‘प्लेग’ जो अपने समय की बड़ी महामारी रही। प्लेग की वजह से भी भारी संख्या में लोगों ने अपनी जानें गंवाई।
19वीं सदी में भारत में ‘प्लेग’ ने मचाई थी तबाही
(Plague in India in the 19th century)
बात 14वीं सदी की है जब प्लेग महामारी ने यूरोप के 70 प्रतिशत लोगों का अपना शिकार बनाया था। 14वीं सदी में यूरोप के लगभग सभी देशों में तबाही मचाने वाली प्लेग की बीमारी ने 19वीं सदी में भारत में एंट्री की। जिसके बाद धीरे-धीरे यह बीमारी पूरे एशिया में भी अपनी तबाही मचाने लगी। देखते ही देखते इस महामारी की चपेट में आने से लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। एक बार भारत में आने के बाद इस बीमारी ने लगातार 20 सालों तक तबाही मचाई।
एक ही घर से निकलती थी एक से ज्यादा अर्थियां
उस समय आधुनिक युग जैसी चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं हुआ करती थी। यही वजह रही कि इलाज के अभाव में लोग मरते चले गए। पूर्वजों की माने तो प्लेग की बीमारी ने एक ही घर से कई अर्थियां निकाली, जो काफी भयावह नजारा होता था। बताया जाता है कि सन 1815 में प्लेग पहली बार भारत में गुजरात राज्य के कच्छ और काठियावाड़ में आया। अगले वर्ष ही यह बीमारी हैदराबाद (सिंध) और अहमदाबाद में फैली जिसमें सैंकड़ों लोगों ने अपने प्राण गंवा दिए।
बंगाल और मुंबई राज्य रहे सर्वाधिक प्रभावित
1815 से लेकर 1994 तक प्लेग की बीमारी ने भारत में एक-एक दो-दो साल के अंतराल में तबाही मचाना जारी रखा। इंटरनेट पर प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत में आखिरी बार प्लेग का मरीज 1994 में गुजरात में मिला था। हालांकि इस महामारी से भारत में बंगाल और मुंबई जैसे शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। लोगों ने अपने घरों से पलायन किया और देश को उस वक्त भी बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। ब्रिटिश अखबारों में इसे ‘मध्यकलीन श्राप’ कहा गया।
कोरोना जैसे चीन से हुई प्लेग की भारत में एंट्री
(Plague entered India from China like Corona)
आपको जानकर हैरानी होगी कि प्लेग की बीमारी भी चीन से ही भारत में आई थी। एशिया महाद्वीप में सबसे पहले चीन में ही इस संक्रमण की शुरुआत हुई। उस वक्त चीन के चूहों में यह संक्रमण फैला। जिसके बाद जहाज के माध्यम से चीनी संक्रमित चूहे भारत के बंदरगाहों पर पहुंच गए और धीरे-धीरे आस-पास के राज्यों में आमजन को अपना शिकार बनाने लगे। प्लेग और कोरोना दोनों ही बीमारी में संक्रमित व्यक्ति को कफ और बुखार की शिकायत कॉमन होती है।
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दुनिया में अब भी उपलब्ध नहीं है प्लेग की दवा
(Plague medicine not available in the world)
प्लेग की बीमारी चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से होती है। वैज्ञानिकों ने इन संक्रामक कीटाणुओं को ‘येरसीनिया पेस्टिस’ नाम दिया। जिन्हें दो तरह से विभाजित किया गया, पहला न्यूमॉनिक और दूसरा ब्यूबॉनिक। समय के साथ प्लेग का प्रभाव कम हुआ है लेकिन आज भी दुनियाभर में सैंकड़ों लोग इस बीमारी से अपनी जान गंवाते है। प्लेग से बचने के लिए भारत समेत कई देशों में टीका लगाया जाता है। इस बीमारी की अभी भी कोई दवा उपलब्ध नहीं है।