Lakshmi-Ganesh Pujan On Diwali: कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान लक्ष्मी-गणेश की पूजा का बड़ा महत्त्व माना गया हैं। ज्योतिष शास्त्र की माने तो मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा यदि सही समय और सही विधि-विधान से की जाए तो शुभ फल मिलने की उम्मीद बढ़ जाती हैं। ऐसे में दिवाली का आगमन होने को हैं को और हम आपके लिए मां लक्ष्मी और प्रभु गणेश जी की पूजा की सही विधि लेकर आए हैं।
लक्ष्मी-गणेश की सही पूजा विधि
- दिवाली के दिन पूजा के समय 11, 21, 31, 51, 71 या 101 मिट्टी के दीये जलाएं। इसके साथ ही एक बड़ा चौमुखी मिट्टी का दीप भी प्रजवल्लित करें। एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछाए और लक्ष्मी-गणेश की स्थापना करें। इसके बाद पंचामृत और अष्टगंध से दोनों को स्नान कराएं।
- स्नान पूजा के पश्चात सुपारी, सोलह पैसों के सिक्के, थोड़ा-सा अष्टगंध, रोली, अक्षत, फूल और जल समर्पित करें। साथ ही इस विधि के दौरान लौंग, इलायची, सुपारी, पंचमेवा, लड्डू, बर्फी और पांच तरह के फल अर्पित करने का भी प्रावधान हैं।
- मां लक्ष्मी-प्रभु गणेश जी की मूर्ति स्थापना के साथ-साथ दक्षिणावर्ती शंख, श्री यत्र, गोमती चक्र, पीली कौड़ी, धनिये के बीज, हल्दी की गांठ, हत्था जोड़ी और मोती शंख की स्थापना भी पूजन चौकी पर ही करें। इसके पश्चात पान के पांच या छह पत्ते, रूई, अशोक या आम के पत्ते के साथ कलश स्थापित करें।
- पूजा में आगे बढ़ते हुए अब मां लक्ष्मी का पूजन कमल का फूल, खील बताशे से करें। इस पूजा में ध्यान रखें बत्ती बना कर अखंड ज्योति जलाने के लिए सरसों का तेल और शुद्ध गाय का घी ही इस्तेमाल करें। यह दीपक बड़े चौमुखी मिट्टी के दीपक में लगा सकते हैं।
- फिर चावल में हल्दी मिलाकर अष्टदल बना लें। इसके बाद इस अष्टदल कमल पर दीपक स्थापित करें. और वहीं कलश की स्थापना करें। कलश पर फूल अर्पित करें और अखंड दीपक का तिलक करें। तत्पश्चात मां लक्ष्मी-प्रभु गणेश जी की आरती के साथ अपनी दिवाली पूजा को संपन्न करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Kalamkunj.com इसकी पुष्टि नहीं करता है)
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