Shiv Katha Hindi 108 Mund Mala: भगवान शिव और माता सती के अद्भुत प्रेम का शास्त्रों में उल्लेखित किया गया हैं। जिसमें ‘सती का यज्ञ कुण्ड में कूदकर आत्मदाह करना’ और ‘सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना’ आदि शामिल हैं। यह सब शिव लीला थी, जिसके जरिए उनके द्वारा पृथ्वी पर 51 शक्ति पीठों की स्थापना हुई। पौराणिक शास्त्रों में बताते है कि, शिव ने ही सती को अपने गले में मौजूद मुंडों की माला का रहस्य भी बताया था।
दरअसल, नारद जी ने ही माता सती को शिव से मुंड माला का रहस्य पूछने के लिए उकसाया था। इसके बाद शिव भी सती को उस माला का रहस्य बताने पर राजी हो गए। भोले बाबा ने सती को बताया कि, इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं, वह आपके हैं। यह सुनकर सती भी हैरान रह गई थी।
शिव ने सुनाई मुंड माला की कथा
सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं? इस पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है और इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर का त्याग कर चुकी हैं, ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की ही निशानी है। शिव ने आगे सती से कहा, इस माला में अभी भी एक मुंड की कमी है, जिसके बाद यह पूर्ण हो जायेगी। यह सुनकर सती ने शिव से कहा, मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं, लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते?
भगवान शिव ने सती की इस बात पर मुस्कुराते हुए जवाब देते हुए कहा, “मैं अमर कथा जानता हूं, इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।” इसके बाद सती ने भी अमर कथा सुनने की इच्छा व्यक्त की। सती की इच्छा पर महादेव ने अमर कथा सुनाना प्रारंभ किया, लेकिन बीच कथा ही सती को नींद आ गई। ऐसे में वह पूरी अमर कथा नहीं सुन सकी। यही वजह रही कि, माता सती को अपने पिता और राजा दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग करने पड़े।
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ऐसे पूरी हुई 108 मुंड की माला
सती के प्राण त्याग के बाद भगवान शिव ने सती के मुंड को भी माला में गूंथ लिया। इस तरह उनके गले में टंगी माला में 108 मुंड पूरे हो गए। सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में लिया। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त हुआ और फिर उन्हें कभी भी अपना शरीर त्याग नहीं करना पड़ा।