Ayodhya Ram Janmabhoomi: कई दशकों के बाद भगवान श्री राम अयोध्या में भव्य मंदिर के अंदर विराजित हो रहे है। अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर इतिहास में झांका जाए तो कई संघर्षपूर्ण दास्तान आपको सुनने और पढ़ने को मिलेगी। यहां हम एक ऐसी ही कहानी आपको बता रहे है, जिसका संबंध सीधे तौर पर अयोध्या की ‘राम जन्मभूमि’ से जुड़ा हुआ है। यह कहानी अथवा कहे कि हकीकत सन 1742 की है, जब हिंदू राजा ने मुगलों से राम जन्मभूमि को आजाद करवाया। यह थे उत्तर प्रदेश के अमेठी के ‘महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह’, जिन्होंने मुगल राजा को ‘राम जन्मभूमि’ से खदेड़ दिया था।
राजा गुरुदत्त सिंह ने मुगलों को खदेड़ा था
सन 1742 में अमेठी के महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह (Maharaja Raja Gurudutt Singh, Amethi) ने Ram Janmabhoomi को मुगलों से आजाद करवाने के लिए भीषण लड़ाई लड़ी थी। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अमेठी के लोग महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह के उस संघर्ष को याद कर रहे हैं।
लगभग दो दिन तक चले उस युद्ध में ‘महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह’ ने नवाब सआदत अली खान को चारों खाने चित कर दिया था। महाराजा ने नबाव और उसकी सेना को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था। इस युद्ध ने मुगलों की सेना को ‘राम जन्मभूमि’ खाली करने पर मजबूर कर दिया था।
जीत के बाद बनवाया राम जानकी मंदिर
युद्ध जीतने के बाद महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के पास राम जानकी मंदिर (Ram Janaki Mandir) का निर्माण कराया था जो आज भी मौजूद है। अयोध्या के इस मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में लोग पूजा-पाठ करते हैं। बताते है कि राजा गुरुदत्त सिंह के परिवार के लोग आज भी अयोध्या आकर ‘राम जानकी मंदिर’ के दर्शन करने जरूर आते है। अमेठी के लोगों के लिए इस मंदिर में रुकने की विशेष व्यवस्थाएं की गई है।
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मुगलों से दुश्मनी लेना राजा को पड़ा महंगा
मुगलों के खिलाफ गुरुदत्त सिंह का साथ साधू-संतों ने भी दिया था। लेकिन युद्ध जीत के बाद उनकी मुगलों से दुश्मनी बढ़ती चली गई। बौखलाए नवाब ने अमेठी रियासत (Amethi Riyasat) पर एक बार फिर आक्रमण कर दिया था। लंबी लड़ाई में महाराजा राजा गुरुदत्त सिंह को अयोध्या छोड़कर रामनगर आना पड़ा। यहां उन्होंने राजमहल की स्थापना की, जो आज भी भूपति भवन (Bhupati Bhavan Ramnagar) के नाम से जाना जाता है।