Holi ka Danda Vala Ratanjot Ka Paudha: भारत में इस वर्ष होली का त्यौहार 25 मार्च (सोमवार) को मनाया जा रहा हैं। यह हिंदुओ का एक प्रमुख त्यौहार हैं। होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन (Holika Dahan 2024) होता है, इसमें होलिका रुपी झाड़ को जलाया जाता है। होलिका दहन से एक माह पूर्व होली का डंडा गाड़ने की परंपरा हमारे देश में रही है। हालांकि, आज के समय में होली का डंडा सिर्फ एक-दो दिन पहले ही रोपकर खानापूर्ति की जाती है।
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि, होली का डंडा किस पौधे अथवा पेड़ का होता हैं। यदि नहीं तो, हम आपको बता देते हैं, होली का डांडा रतनजोत के पौधे से बनता हैं। इसी पौधे का डंडा ही होली की पूजा में ‘डांडा’ के रूप में इस्तेमाल होता हैं। रतनजोत के पौधे को डीजल का पौधा भी कहते हैं, क्योंकि बायो डीजल बनानेे में रतनजोत वनस्पति का उपयोग किया जाता हैं। रतनजोत, जिसे रंग-ए-बादशाह भी कहते हैं, इसके फूल नीले रंग के होते हैं।
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रतनजोत के लाल रंग का कमाल
रतनजोत के पेड़ की जड़ से एक महीन लाल रंगने वाला पदार्थ प्राप्त होता हैं। इसका इस्तेमाल खाने-पीने की चीज़ों को लाल रंगने के लिए होता है। भारत में रोग़न जोश व्यंजन (Rogan Josh) की तरी का लाल रंग भी अक्सर इसी पौधे की जड़ से निकलने वाले लाल रंग के पदार्थ से बनाया जाता हैं। यही नहीं, इसकी मदद से दवाइयां, तेल और शराब जैसी चीजों का रंग-रूप भी बदला जाता हैं। काफी जगह कपड़ों को रंग बदलने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।
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पौधे की जड़ के रंग का नाम रतनजोत
वास्तव में ‘रतनजोत’ नाम इस पौधे की जड़ से निकलने वाले रंग का है, लेकिन कभी-कभी पूरे पौधे को भी इसी नाम से ही पुकारा जाता है। आधुनिक काल में E103 के नामांकन वाला खाद्य रंग, जिसे अल्कैनिन (Alkannin) भी कहते हैं, इसी से बनाया जाता हैं। कभी-कभी जत्रोफा को भी रतनजोत कहा जाता है।