Lord Shiva Story: भगवान शिव लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था, विश्वास और शक्ति का स्वरुप है। ना सिर्फ भारत बल्कि अन्य देशों में भी महादेव शिव के अनन्य भक्त मौजूद है। शिव में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि महादेव अपने भक्तों को किसी भी संकट में अकेला नहीं छोड़ते। चाहे संकट कैसा भी हो, भगवान शिव अपने भक्त की मदद के लिए किसी न किसी रूप में मदद के लिए जरूर आते हैं। शिव की भक्ति की एक ऐसी ही सत्य कथा इस मृत्य संसार में प्रचलित है।
शिव की असीम भक्ति का केंद्र हैं बैजनाथ मंदिर
मध्यप्रदेश में भगवान शिव के एक मंदिर के साथ ऐसे व्यक्ति की कहानी जुड़ी है, जिसका जीवन भगवान शिव की ही देन हैं। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के आगर मालवा में स्तिथ ‘बैजनाथ महादेव’ के प्रसिद्द मंदिर की। कथा उस समय की है जब भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था। सन 1883 में तब कर्नल मार्टिन ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय में मंदिर के निर्माण में 15 हजार रुपए का खर्चा आया था, जिसके लिए चंदा भी इकठ्ठा किया गया।
मंदिर के पास एक शिलालेख लगा हुआ है जिस पर उक्त घटना का उल्लेख है। बताया जाता है कि 1879 में अंग्रेज सेना और अफगानों के बीच लड़ाई चल रही थी। अंग्रेज सेना की ओर से कर्नल मार्टिन को युद्ध की जिम्मेदारी सौंपी गई। मार्टिन अफगानिस्तान चले गए। लेकिन लड़ाई के दौरान मार्टिन शत्रुओं से घिर गए। ऐसे में जब शत्रु के सामने मार्टिन असहाय हो गए तो उनकी रक्षा के लिए स्वयं भगवान महादेव शिव प्रकट हुए और उन्हें संकट से उबार कर लाये।
मार्टिन की पत्नी के मन में जगी शिव भक्ति से आस
अंग्रेजों के उस शासनकाल में संदेश भेजने के लिए ‘पत्र’ ही एक माध्यम हुआ करता था। युद्ध के दौरान मार्टिन अपने परिजनों को पत्र लिखा करते थे लेकिन एक दिन उनका पत्र नहीं आया। इसके बाद आगे भी काफी दिनों तक मार्टिन के परिजनों को उनका कोई संदेश प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे में उन्हें चिंता होने लगी। इसी बीच एक दिन कर्नल मार्टिन की पत्नी को रस्ते में जाते हुए ‘बैजनाथ महादेव’ का मंदिर दिखा। उस समय मंदिर में महादेव की आरती हो रही थी। वह मंदिर गई और वहां पुजारी से महादेव और उनकी आरती पूजा के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की। जवाब के रूप में पुजारी ने मार्टिन की पत्नी से कहा, ‘ये भगवान शिव हैं। इनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। ये सबकुछ कर सकते हैं। भक्त का संकट कैसा भी क्यों न हो, ये उसे दूर करने की शक्ति रखते हैं।’
मार्टिन की पत्नी को आश्चर्य हुआ और मन में एक शक्ति का अहसास भी। वह पुजारी से बोलीं, ‘मेरे पति युद्धभूमि में हैं। न जाने अफगानिस्तान में कैसे हालात होंगे? मेरे मन में कई आशंकाएं पैदा हो रही हैं। यह कहते हुए उनकी आंखों में आंसू आ गए।’ पुजारी ने उन्हें दिलासा देकर शिव की मदद का आश्वाशन दिया। इसके बाद मार्टिन की पत्नी से भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा। यही नहीं वहां के पुजारियों ने भी मार्टिन के लिए प्रार्थना की और अनुष्ठान शुरू कर दिया।
पत्नी की शिव भक्ति ने बचाया मार्टिन का जीवन
अनुष्ठान के समापन दिवस पर डाकिया एक पत्र लेकर आया। पत्र में मार्टिन ने लिखा था, ‘हमारी सेना युद्ध कर रही थी। हालात बहुत खराब थे। एक दिन हमें पठानों ने घेर लिया। ऐसे में लगने लगा कि यह जिंदगी का अंतिम दिन हैं। हमारे कई सैनिक शहीद हो चुके थे। मौत सामने थी, मैंने भगवान को याद किया। उसी समय शेर की खाल पहने, बड़े-बड़े बाल वाला, हाथ में नोंकदार हथियार (त्रिशूल) लिए एक व्यक्ति आया और उसने सभी पठानों को खदेड़ दिया।
कर्नल मार्टिन ने आगे लिखा ‘उस व्यक्ति ने मुझे दिलासा दी कि घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे लिए ही आया हूं।’ पत्र पढ़कर मार्टिन की पत्नी का भगवान शिव पर विश्वास दृढ़ हो गया। कुछ दिनों बाद कर्नल मार्टिन सकुशल भारत आ गए और सभी घटनाएं विस्तार से बताईं। इस घटना के बाद कर्नल ने पूरे शहर से चंदा इकट्ठा कर और खुद से कुछ राशि मिलाकर भगवान शिव के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। वर्षों बाद आज भी लोग यहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं।