Jaipur Shiv Mandir: राजस्थान की राजधानी जयपुर को मंदिरों का शहर कहा जाता हैं, जिनमें शिव मंदिर अत्यधिक है। यही वजह है कि, इस शहर को छोटी काशी के नाम से भी ख्याति प्राप्त हैं। जयपुर में स्तिथ है, यूनेस्को विश्वधरोहर की लिस्ट में शामिल भगवान शिव को समर्पित ताड़केश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर शहर के चौड़ा रास्ता एरिया में मार्केट के बीचोंबीच स्तिथ है। मंदिर की स्थापत्य कला में राजस्थानी स्थापत्य और स्थानीय संस्कृति की झलक दिखती हैं।
ताड़केश्वर महादेव मंदिर (Tarkeshwar Mahadev Mandir) जयपुर शहर की स्थापना से पूर्व का हैं। जयपुर शहर की स्थापना वर्ष 1727 में हुई थी, जिसे आमेर के महाराज जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित करवाया गया था। उन्हीं के नाम पर शहर को जयपुर कहा गया। हालांकि, अपनी स्थापना के समय में जयपुर को ‘जैपर’ कहा गया था, लेकिन यह कालांतर में जयपुर हो गया। बताया जाता है कि, जयपुर की स्थापना से पहले से ही यहां शिवलिंग स्थापित है।
यह भी पढ़े: Jaipur Shiv Mandir: जयपुर का वो शिवालय, जहां सूर्य किरणों से होती थी समय की गणना
यहां हैं स्वयंभू शिवलिंग
बताया जाता है कि, जिस स्थान पर ताड़केश्वर महादेव मंदिर स्थित है, वहां किसी समय में बड़ी संख्या में ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे। एक समय अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के व्यास सांगानेर जाते समय इस जगह पर विश्राम हेतु रुके थे, तभी उनकी नजर यहां स्थित शिवलिंग पर पड़ी और उन्होंने दर्शन किये। यह स्वयंभू शिवलिंग हैं, यानी कि, यहां भोले बाबा स्वयं प्रकट हुए है, उन्हें स्थापित नहीं किया गया हैं। मंदिर का वर्तमान स्वरुप शहर की स्थापना के समय का है।
यह भी पढ़े: Jaipur Shiv Mandir: जयपुर का 100 साल पुराना शिव मंदिर हैं ख़ास! शिवालय में उगा है पेड़
हर मुराद होती है पूरी
एक समय था, जब ताड़केश्वर महादेव मंदिर को ताड़कनाथ के नाम से जानते थे। मंदिर में विराजित भोले बाबा के पति जयपुर वासियों में गहरी आस्था है। भक्त मानते है कि, सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद यहां पूरी होती है। इच्छा पूरी होने के बाद भक्त यहां शिवलिंग का अभिषेक करवाते है और दूध-घी से शिवजी की जलहरी भरते हैं। वैसे तो मंदिर में पूरे साल भक्तों की भीड़ उमड़ती हैं, लेकिन सावन और महाशिवरात्रि के समय यहां का नजारा देखने लायक होता हैं।