खेलों में रूचि रखने वाले लोग अब क्रिकेट से भी आगे अन्य खेलों के लिए सोचने लगे है। टेनिस, कबड्डी, हॉकी और फुटबॉल जैसे खेलों के अलावा लोग रेसलिंग में भी काफी दिलचस्पी ले रहे है। यही वजह है कि देश के पहलवानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने लगा है। पहलवानी के खेल में एक एथलीट को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना होता है। ऐसे में कई लोग अपने फेवरेट पहलवानों को देखकर उनकी जैसी फिटनेस बनाने की इच्छा रखने लगे है। यदि आप भी पहलवानों जैसी बॉडी बनाना चाहते है तो यहां हम आपको भारत के स्टार पहलवान सुशील कुमार के डाइट प्लान के बारे में विस्तार से बता रहे है…
कई इंटरव्यू में सुशील कुमार अपने डाइट प्लान के बारे में विस्तार से बता चुके है। वह बताते है कि, रोजाना उनकी दिनचर्या में 150 से लेकर 200 उठक-बैठक करना शामिल होता है। इसके अलावा वह प्रतिदिन 150 से लेकर 200 तक स्कैवट्स और 2 से 3 किलोमीटर तक दौड़ भी लगाते है। साथ में वह 100 रोप क्लांइबिंग भी प्रतिदिन करते है। ट्रेनिंग सेशन के बाद में वह प्रोटीन शेक लेते है जो उन्हें एनर्जी से भर देता है। इसके बाद वह रेसलिंग अभ्यास भी करते है। सुशील बताते है कि, रात में सोने से पहले वह बादाम वाले दूध का सेवन करते है। इन सब के अलावा प्रत्येक शनिवार को वह 10 से 15 किमी दौड़ लगाते है।
सुशील बताते है कि दौड़ लगाने से उनका स्टेमिना ठीक होता है। इसके अलावा वह अपनी डाइट में प्रोटीन शेक के साथ 2 से 3 कटोरा दही भी खाते है। साथ में वह प्रतिदिन पांच से छह पराठे नाश्ते में, पांच से छह रोटी लंच में और डिनर में चावल-दाल का सेवन करते है। इसके बाद वह थोड़ा मीठा खाना पसंद करते है। सुशील देश के उन पहलवानों में शामिल है जो शाकाहार अपनाने के बाद भी चैंपियन है। आमतौर पर मांसाहार को फिटनेस के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन सुशील कुमार और उन जैसे कई शाकाहारी पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। सुशील नॉनवेज बिल्कुल पसंद नहीं करते।
पूर्णतया शाकाहार अपनाने वाले सुशील के डाइट प्लान में चने, फल, फलों का जूस, ड्राई फ्रूट्स, दूध, दही और मक्खन जैसे प्रोडक्ट्स शामिल होते है। एक कटोरा मक्खन सुशील रोजाना पसद करते है। इसके अलावा 300 से 400 ग्राम बादाम रोजाना खाना सुशील की दिनचर्या का हिस्सा है। सुशील बताते है कि वर्कआउट से पहले वह पानी मिलाकर पांच सौ एमएल एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते है। जिसके बाद वह प्रोटीन सप्लीमेंट को प्राथमिकता देते है। शाम के समय में सुशील का प्लान थोड़ा अलग होता है। वह शाम को छह से आठ बजे तक रेसलिंग का अभ्यास करते है और इसी बीच एक ग्लास जूस पीते है।
बात करे सुशील के करियर की तो वह देश के लिए दो बार ओलंपिक पदक जीत चुके है। रेसलिंग में वह देश के सबसे चहेते रेसलर है, जिन्होंने बीजिंग में कांस्य और लंदन ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया था। रिंग में उतरने से पहले सुशील काफी कड़ा परिश्रम करते है, इसी का परिणाम है कि वह मैट पर विरोधी पहलवान पर चीते की तरह तेजी से टूट पड़ते है।
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