UP temple Dog Worship: भारत में कई रहस्यमयी धार्मिक स्थल है। उन्हीं में से एक है देश की राजधानी दिल्ली से 60 किमी दूर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद शहर में स्तिथ एक मंदिर। यह मंदिर अपने-आप में एक अनूठी जगह है। यहां देवता के रूप में एक कुत्ते की मूर्ति की पूजा की जाती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है। मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं के बीच एक कुत्ते की कब्र और प्रतिमा है, जो अपने-आप में एक कहानी बयां करती है।
दिवाली, होली और नवरात्रि जैसे त्योहारों पर इस मंदिर में कुत्ते के सम्मान में उत्सव होता है। मंदिर जगमगा उठता है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से श्रद्धालु यहां पहुंचते है। Times of India की टीम ने इस मंदिर के बारे में जमीनी स्तर पर तथ्य जुटाने के बाद अपने प्लेटफॉर्म पर इसके बारे में स्टोरी प्रकाशित की है। उस स्टोरी के मुताबिक मंदिर में कुत्ते की प्रतिमा की पूजा करने के पीछे एक कहानी है। चलिए उसे जानते है-
बाबा और कुत्ते की गहरी मित्रता
स्थानीय निवासी बताते है कि एक पूज्यनीय धर्मगुरु बाबा लटूरिया थे। उनकी मित्रता लगभग सौ साल पहले एक कुत्ते से काफी गहरी थी। वह बाबा काफी पवित्र थे और देखने में सक्षम नहीं थे। जिस कुत्ते से बाबा की मित्रता थी, वह मरते दम तक उनके साथ रहा और सहारा रहा। Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के एक भक्त लक्ष्मण सैनी बताते है कि बाबा और कुत्ता एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। बाबा की मौत के बाद कुत्ता भी उनकी कब्र में कूद गया।
दशकों से बना हुआ है श्रद्धा केंद्र
भक्त लक्ष्मण के मुताबिक लोगों ने कुत्ते को कब्र से निकाल लिया, लेकिन कुछ क्षण के बाद ही उसकी भी मौत हो गई। कहते है बाबा से अलगाव को कुत्ता सहन नहीं कर सका और उसने वियोग में अपने प्राण त्याग दिए। बाबा और कुत्ते के इस अटूट बंधन को सम्मान देने के लिए ही पूर्वजों ने बाबा की समाधि के बगल में कुत्ते के लिए एक विश्राम स्थल तैयार किया और उसकी प्रतिमा भी स्थापित कर दी। कई दशकों से अब यह स्थल श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
यह भी पढ़े: जब अंग्रेज भक्त की जान बचाने अफगानिस्तान पहुंच हुए भोले बाबा, अद्भुत हैं यह कथा
मनोकामना पूर्ति करता है स्थल!
मंदिर में दर्शन करने वाले लोग कहते है कि ‘कुत्ते की कब्र सिर्फ एक स्मारक नहीं है बल्कि नकारात्मक शक्तियों से बचाती है। लोग यहां अपनी मनोकामना पूरी करवाने के लिए कुत्ते की मूर्ति पर काला धागा बांधने आते हैं। सिकंदराबाद और उसके आसपास के लोगों के लिए तो यह मंदिर वफादारी और प्यार का प्रतीक है। इस मंदिर का नाम तो रिपोर्ट में प्रकाशित नहीं किया गया है, लेकिन यह मंदिर वफादार दोस्त के बीच के बंधन में विश्वास करने वाले लोगों के लिए खास है।