IAS Suhas Success Story: बचपन से ही एक पैर काम नहीं करता था। लेकिन खेल के प्रति मोह ने ‘सुहास लालिनाकेरे यथिराज’ को देश का बेहतरीन पैरा-एथलीट बना दिया। सुहास एक अच्छे एथलीट होने के साथ-साथ साल 2007 के उत्तर-प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर भी है। पेशे से जिला अधिकारी सुहास बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी है। इस खेल के प्रति उनके जूनून का ही परिणाम है कि वह पुरुषों की सिंगल पैरा-बैडमिंटन श्रेणी में दुनिया के दूसरे प्लेयर है।
देश के लिए जीते स्वर्ण और सिल्वर मेडल
खेल के साथ-साथ IAS Suhas Lalinakere Yathiraj अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रहे है। उन्होंने साल 2018 तुर्की में आयोजित पैरा-बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया था। यही नहीं वह इस टूर्नामेंट में भारत के लिए रजत पदक हासिल करने में भी कामयाब रहे। यही नहीं इससे पहले साल 2016 में उन्होंने बीजिंग एशियाई पैरालंपिक चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। उस वक्त वह यूपी के आज़मगढ़ में जिला अधिकारी पद पर तैनात थे।
जीवन में हमेशा परिवार का मिला पूरा साथ
साल 2016 में एक इंटरव्यू के दौरान IAS Suhas Lalinakere Yathiraj ने बताया था कि ‘उन्होंने कभी भी खुद को दिव्यांग नहीं समझा। उन्हें यह प्रेरणा अपने माता-पिता से मिली। पेरेंट्स ने ही दोस्तों के साथ खेलने के लिए मुझे प्रेरित किया। यही नहीं उन्हें स्कूल में आयोजित सभी दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी लेने दिया।’ सुहास आगे कहते है कि उनके साथ घर पर कभी भी अलग व्यवहार नहीं हुआ। हालांकि कई दिव्यांग बच्चों को ऐसा माहौल नहीं मिल पाता है जैसा कि उन्हें अपने परिवार से मिला।
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तरीके से निभा रहे है जीवन में दोहरी भूमिका
IAS Suhas Lalinakere Yathiraj बताते है कि उन्हें बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा अपने परिवार से मिली। परिवार का साथ और जीवन में कुछ बड़ा करने का जूनून सुहास की हिम्मत बना। उन्होंने कड़ा परिश्रम किया और देश के बेहतरीन पैरा एथलीट बने। खेल के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित किया और आज एक अच्छे पद पर तैनात है। आज भी सुहास अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ खेल अभ्यास को भी बखूबी निभा रहे है। हम उनके जज्बे को सलाम करते है।