इतिहास गवाह है किसी एथलीट की सफलता के पीछे उसका कड़ा संघर्ष छिपा हुआ होता है। यहां हम एक ऐसे ही एथलीट ‘चंदीप सिंह सूडान’ की बात कर रहे है जिन्होंने दोनों भुजाएं ना होते हुए भी ‘पैरा स्केटिंग’ के खेल में देश का नाम रोशन किया है। जम्मू-कश्मीर के रहने वाले चंदीप के नाम 100 मीटर की पैरा स्केटिंग में विश्व रिकॉर्ड (13.9 सेकेंड) दर्ज है। जब उनकी उम्र महज 19 साल की थी, तब उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर दो स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।
मार्शल आर्ट्स और ताइक्वांडो चैंपियन है चंदीप
उन्होंने वियतनाम में हुए एशियन ताइक्वांडो चैंपियनशिप और नेपाल में हुए इंटरनेशनल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। यही नहीं साल 2012 में चंदीप ने मंसूरी में आयोजित हुई ऑल इंडिया रोलर स्पीड स्केटिंग में कांस्य पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया था। जिसके बाद से ही इस खेल में उनका शानदार प्रदर्शन जारी है। वह सीबीएसई कलस्टर प्रतियोगिताओं में भी जबरदस्त प्रदर्शन कर सभी को अपने खेल से प्रभावित कर चुके है।
बिजली हादसे में गंवा दी थी अपनी दोनों भुजाएं
चंदीप सिंह को करियर में हासिल हुई सफलता इतनी आसान नहीं थी। उनके सामने कई मुश्किलें आई लेकिन उन्होंने डटकर सामना किया और असंभव दिखने वाले हर कार्य को पूरा कर दिखाया। चंदीप बताते है कि जब वह महज 11 साल के थे तो उन्हें 11 हजार बोल्ट बिजली का झटका लगा, जिसमें उनके दोनों हाथ झुलस गए। इसके बाद डॉक्टर की जांच में पता चला कि उनके हाथों में इंफेक्शन ज्यादा हो गया है और इसलिए दोनों हाथ डॉक्टर्स को काटने पड़े।
हादसे के बाद चंदीप सिंह को परिवार ने संभाला
जीवन में घटित हुए इस हादसे से चंदीप सिंह के बचने की उम्मीद तो काफी कम थी। लेकिन उनके जीने के जज्बे ने उन्हें नया जीवन दिया। हादसे से पहले वह स्कूल, जोनल और स्टेट लेवल पर फुटबॉल प्लेयर, एथलीट और स्केटर हुआ करते थे। लेकिन हादसे में दोनों हाथ गंवाने के बाद उन्हें इन खेलों से दूरी बनानी पड़ी। इतना सब कुछ होने के बावजूद चंदीप ने हार नहीं मानी और अपने परिवार के उत्साहवर्धन से पूरी हिम्मत जुटाकर दोबारा स्केटिंग का अभ्यास किया।
मेहनत ने दिखाया रंग और बने विश्व रिकॉर्डधारी
दोनों भुजाओं के बिना स्केटिंग करना चंदीप के लिए काफी परेशानी उत्पन्न कर रहा था। चंदीप बताते है कि शुरुआत में उन्हें संतुलन बनाने में काफी समस्या आती थी, वह कई बार गिर जाया करते थे। लेकिन लगातार प्रयास से उन्होंने बिना बाजुओं के संतुलन बनाना सीख लिया और अन्य नेशनल लेवल के स्केटर्स के साथ अभ्यास करने लगे। अंततः उनकी मेहनत ने रंग दिखाया और आज परिणाम सबके सामने है, वह आज राष्ट्रीय स्तर के स्केटर और विश्व रिकॉर्ड धारी है।