जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को शुक्रवार (8 जुलाई 2022) को गोली मार दी गई। यह हमला उस वक्त हुआ जब नारा शहर में शिंजो आबे भाषण दे रहे थे। हमलावर ने पीछे से उन पर दो गोलियां दागीं, जिसके बाद शिंजो आबे जमीन पर गिर पड़े और उनके शरीर से खून बहता दिखाई दिया। आबे पर हमला करने वाले संदिग्ध की पहचान हो गई है। 41 वर्षीय हमलावर का नाम यामागामी तेत्सुया है और वह जापान की समुद्री सेना का पूर्व सैनिक रहा है।
शिंजो आबे ने खराब स्वास्थ्य के कारण अगस्त 2020 में अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 67 वर्षीय आबे पिछले काफी समय से अल्सरेटिव कोलाइटिस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं। सबसे अधिक समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहने वाले आबे का तीन दशक से अधिक का राजनीतिक करियर कैसा रहा, आइए इस पर एक नजर डालते हैं…
1993 में पहली बार सांसद बने थे शिंजो आबे
सितंबर, 1954 में टोक्यो में जन्मे शिंजो आबे एक प्रबुद्ध राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं और उनके नाना जापान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अपने पिता की मौत के बाद 1993 में वह पहली बार जापानी संसद के लिए चुने गए और उत्तर कोरिया के प्रति सख्त रुख की बदौलत राष्ट्रीय पहचान बनाने में कामयाब रहे। 2006 में वह देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद ही इसी बीमारी के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
2012 में दोबारा प्रधानमंत्री बने आबे
इसके पांच साल बाद आबे ने फिर से राजनीति में वापसी की और उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) ने 2012 के चुनाव में जीत दर्ज की। इस जीत के बाद वह दोबारा जापान के प्रधानमंत्री बने और तभी से इस पद पर बने हुए थे। दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए तीन चरण की आर्थिक नीति घोषित की जिसे आमतौर पर ‘आबेनॉमिक्स’ के नाम से जाना जाता है।
रक्षा क्षेत्र में आबे ने किए ये काम
अपने कार्यकाल के दौरान आबे ने रक्षा क्षेत्र में खर्च को बढ़ाया और द्वितीय विश्व युद्ध के समय बने उस समझौते को बदलने की कोशिश भी की जिसके कारण जापान अपनी स्थायी सेना नहीं रख सकता। वह इसमें नाकाम रहे, लेकिन वह जापान के मौजूदा सुरक्षा बलों को पहले के मुकाबले अधिक शक्ति देने में कामयाब रहे और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापानी बलों को विदेश जाकर लड़ने का अधिकार देने के लिए संविधान में बदलाव किया।
चीन की शक्ति को चुनौती देने के लिए भारत जैसे देशों से बढ़ाई नजदीकी
चीन की बढ़ती शक्ति को चुनौती देने के लिए राष्ट्रवादी छवि रखने वाले आबे ने भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से नजदीकियां बढ़ाईं। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के समूह को फिर से सक्रिय करने की कोशिशों को भी तेज किया।
कोरोना वायरस महामारी को लेकर आलोचनाओं में घिरे
कोरोना महामारी से निपटने के तरीके को लेकर शिंजो आबे पर सवाल भी उठे। इस दौरान पूरी दुनिया की तरह जापान की अर्थव्यवस्था भी संंघर्ष कर रही थी और यह ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर है। साथ ही वो अपनी पार्टी के सदस्यों पर लगे स्कैंडल के आरोपों के कारण भी विरोध का सामना करते रहे।
The moment that Japanese Former PM Shinzo Abe was shot. Looks to be a DIY shotgun. pic.twitter.com/sC0yzzfIob
— Global: MilitaryInfo (@Global_Mil_Info) July 8, 2022