Pakadua Vivah in Bihar : ‘पकड़ौआ विवाह’ भारत के राज्य बिहार की एक कुप्रथा है। इसमें काबिल लड़कों की जबरदस्ती शादी करवाई जाती है। 21वीं सदी में भी इस तरह की कुप्रथा का होना भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पर एक धब्बा है। हाल ही में बिहार में ऐसे दो मामले सामने आये है, जहां काबिल लड़कों को पकड़कर उनका जबरन विवाह करवा दिया गया। हालांकि, एक मामले में कोर्ट ने शादी को अमान्य करार दे दिया, लेकिन कुछ दिन बाद फिर ऐसा ही एक और मामला आ गया।
बंदूक की नोक पर होते है विवाह
देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार ‘बिहार’ में पढ़े-लिखे और काबिल युवाओं की कमी है। यहां दहेज़ प्रथा भी धड़ल्ले से जारी है। इन सब वजह से लड़की के परिवार को बेटी का विवाह करना काफी मुश्किल भरा होता है। इन सबके चलते जो भी लड़की का परिवार लड़के के परिवार से अधिक ताकतवर होता है, वह लड़के को अगवा कर लड़की का विवाह बंदूक अथवा हथियार की नोक पर करवा देता है। यह एक कुख्यात प्रथा है, जो कई युवाओं को बर्बाद कर रही है।
क्या होता है ‘पकड़ौआ विवाह’?
समाज शास्त्र को जानने वाले लोग कहते है कि बिहार में ‘पकड़ौआ विवाह’ का चलन 70 के दशक में आया। 80 और 90 के दशक में यह कुप्रथा पूरे बिहार में चरम पर थी। राज्य के मगध और मिथिलांचल क्षेत्र में तो इस कुप्रथा ने पैर पूरी तरह पसार लिए थे। 1990 के दशक में राज्य में ‘पकड़ौआ विवाह’ बड़े पैमाने पर होने लगे थे। साल 2010 में हिंदी सिनेमा में फिल्म ‘अंर्तद्वंद’ बनाई गई, जो देश की इसी कुप्रथा पर आधारित थी। फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल किया।
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बिहार में सजता है दूल्हों का बाजार
बिहार में अधिकतर परिवारों की आर्थिक स्तिथि उतनी मजबूत नहीं है कि वह लड़के वालों को मनचाहा दहेज़ दे सके। लड़के वाले चाहते है कि लड़की सुंदर होनी चाहिए तभी उन्हें पसंद आएगी। बिहार में दूल्हों का बाजार सजता है। डॉक्टर, इंजीनियर, बैंक ऑफिसर के लिए करोड़ों रुपये दहेज दिया जाता है।