30 अप्रैल 1945 को जर्मन तानाशाह हिटलर एवं उसकी पत्नी इवा ब्राउन ने आत्महत्या की थी। 30 अप्रैल के दिन ही दुनिया को हिटलर नाम से क्रूर तानाशाह के आतंक से मुक्ति मिली थी। आत्महत्या करने से पहले हिटलर का कहना था कि, उसके मरने के बाद उसका शरीर जला दिया जाये। दरसल हिटलर ईसाई धर्म से था जिसमें मरने के दफनाने के परंपरा होती है। लेकिन हिटलर को डर था कि यदि उसे दफनाया गया तो उसकी लाश को कब्र से निकाल लिया जाएगा।
हिटलर के बॉडी गार्ड ने किताब में किये खुलासे
उसके मन में इस बात का डर व्याप्त था कि उसकी लाश को कब्र से निकालकर लोग उसपर अपना गुस्सा निकालेंगे। हिटलर के बॉडीगार्ड रोशस मिस्क ने ‘हिटलर्स लास्ट विटनेस: द मेमॉइर्स ऑफ हिटलर्स बॉडीगार्ड’ नाम की किताब में बताया है कि हिटलर के साथ उसकी मौत के समय क्या-क्या घटित हुआ था।
किताब में लिखा है उस वक्त सोवियत ने बर्लिन को चौतरफा घेर लिया था। इस नाकेबंदी को जर्मनी तोड़ पाने में असमर्थ था। धीरे-धीरे सोवियत सेना आगे की तरफ बढ़ने लगी। जिसे देख हिटलर ने खुद को सुरक्षित एक बंकर में बंद कर लिया था। लेकिन 30 अप्रैल की सुबह जब हिटलर को बताया गया कि यदि अब कामयाबी नहीं मिली तो जर्मन सेना का गोला-बारूद समाप्त हो जाएगा। ऐसे में हिटलर की सोवियत रेड आर्मी को मोर्चे पर तोड़ना ही अंतिम उम्मीद थी।
पत्नी के साथ गोली मार कर ली थी आत्महत्या
हिटलर और जर्मन सेना मायूस थी। सब डरे हुए थे, आगे क्या होने वाला है, किसी को अंदेशा नहीं था। इसी बीच स्टडी रूम से शोर-शराबा सा हुआ। बंकर में मौजूद कुछ लोगों ने कमरे के अंदर गोली की आवाज सुनाई देने की पुष्टि की। जिसके बाद हिटलर के प्राइवेट सेक्रटरी ने स्टडी रूम का दरवाजा तोड़ दिया।
किताब में हिटलर के बॉडी गार्ड रोशस मिस्क ने लिखा है ‘उस वक्त उसकी नजर सबसे पहले इवा ब्राउन (हिटलर की पत्नी) पर पड़ी। जोकि सफेद झालरें वाली गहरे नीले रंग की ड्रेस पहने बैठी हुई थी। उसने अपने पैरों को मोड़कर घुटनों को सीने से चिपका रखा था। और उसका सर हिटलर की तरफ झुका हुआ था। जूते सोफे के नीचे पड़े थे और वही उसके पास पड़ा था हिटलर। जिसकी खुली हुई आंखे घूर रही थी, लेकिन उसका माथा आगे की तरफ लुढ़का हुआ था।