Manish Sisodia Case: अरविंद केजरीवाल समेत नौ विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा हैं। जिसमें लिखा है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लेकिन जिस तरह देशभर में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, उससे प्रतीत होता है कि हम लोकतंत्र से तानाशाही की तरह बढ़ रहे हैं।
विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी ‘राजनीतिक साजिश’
पत्र में लिखा है 26 फरवरी 2023 को आप नेता मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी लंबी कवायद के बाद और बिना कोई सबूत साझा किये की गई हैं। उन पर लगे सभी आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। इस कार्रवाई से पूरे देश की जनता में रोष व्याप्त है। पत्र में आगे लिखा है कि सिसोदिया को स्कूल शिक्षा में शानदार बदलाव के लिए जाना जाता है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक साजिश को दर्शा रही हैं। भारत में लोकतांत्रिक मूल्य भाजपा शासन में खतरे में हैं। पत्र में कहा है कि जिन विपक्षी नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है, उनके खिलाफ जांच की रफ्तार धीमी हो गई हैं।
विपक्षी नेताओं ने पत्र में लिखा कि साल 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही कई विपक्षी नेताओं के आवासों या परिसरों पर छापेमारी की गई है। लेकिन जांच के दौरान जिन नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया, उनके खिलाफ जांच धीमी होती चली गई। इसमें उदारहण के तौर पर पूर्व कांग्रेस नेता और अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (भाजपा) का नाम शामिल हैं। इन दोनों के खिलाफ ईडी और सीबीआई ने 2014 और 2015 में शारदा चिट फंड मामले में जांच बैठाई थी। लेकिन हिमंत बिस्व सरमा के भाजपा में चले जाने के बाद से जांच ठंडे बस्ते में चली गई। यही नहीं पत्र में पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेता सुवेंदु अधिकारी और मुहुल रॉय और महाराष्ट्र के नारायण राणे समेत कई नेताओं के नाम हैं, जो इस तरह के उदारहण पेश करते हैं।
जांच एजेंसियों का सामना कर रहे ये विपक्षी नेता
लालू प्रसाद यादव (राजद), संजय राउत (शिवसेना उद्धव गुट), अजम खां (सपा), नवाब मलिक, अनिल देशमुख (एनसीपी) और अभिषेक बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस) जैसे विपक्षी नेता मौजूदा समय में केंद्रीय जांच एजेंसियों का सामना कर रहे हैं।
राज्यपाल और सरकार के बीच चल रही तनातनी
चिट्ठी में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में राज्यपाल और सरकार के बीच चल रही तनातनी की भी बात कही गई हैं। जिसके कारण केंद्र और राज्यों के बीच दूरियां आने लगी हैं। पत्र में कहा गया है कि कुछ राज्यों में राज्यपाल जानबूझकर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पत्र के माध्यम से लोकतंत्र पर हो रहे आगत पर विपक्षी नेताओं ने चिंता व्यक्त की हैं।
चिट्ठी लिखने वाले विपक्षी नेता
अरविंद केजरीवाल (आप)
के. चंद्रशेखर राव (बीआरएस)
ममता बनर्जी (तृणमूल कांगेस)
भगवंत मान (आप)
तेजस्वी यादव (राजद)
फारूक अब्दुल्ला (जेकेएनसी)
शरद पवार (एनसीपी)
उद्धव ठाकरे (शिवसेना, यूबीटी)
अखिलेश यादव (सपा)
बता दे आबकारी नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के मामले में यह पत्र है।
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