Lalu Prasad Yadav ka Pahala Election Kaisa Raha ?
बिहार की सियासत में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) से ज्यादा जमीनी पकड़ और लंबा अनुभव किसी के पास नहीं रहा है। छात्र राजनीति के बाद सन 1977 में लालू यादव पहली बार चुनाव लड़े थे। उसके बाद चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद साल 2014 से लालू चुनाव में नहीं उतर सके हैं।
43 साल का सियासी अनुभव
4 दशकों से अधिक समय के सियासी सफर में लालू यादव ने छात्र यूनियन, संसद, विधानसभा, विधान परिषद समेत कई तरह के चुनाव लड़े। 43 साल पहले हुए इस चुनाव में लालू पहली बार मैदान में थे। वह 1977 के लोकसभा चुनाव में उतरे और 29 साल के युवा लालू ने कई सियासी कीर्तिमान खड़े कर दिए।
लालू यादव का पहला चुनाव
11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज में जन्मे लालू यादव जेपी मूवमेंट के समय पटना यूनिवर्सिटी में छात्र नेता थे। 1974 के जेपी आंदोलन के समय लालू खूब सक्रिय रहे और पटना में छात्र आंदोलन की अगुवाई कर जेपी के करीब भी आ गए। इसके बाद जब इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में 6th लोकसभा चुनाव हुए तो लालू छपरा सीट (वर्तमान सारण सीट) से उतरे, तब सिर्फ 29 साल की उम्र में लालू चुनाव में उतरे थे।
भारतीय लोकदल के टिकट पर उतरे लालू
देश में इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी के बीच ये चुनाव हो रहा था। जनता पार्टी के साथ गठबंधन के बीच लालू भारतीय लोकदल के टिकट पर उतरे। लालू के सामने चुनावी मैदान में कांग्रेस के राम शेखर प्रसाद सिंह थे। इसके अलावा सीपीआई और कई निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे।
कैसे रहे थे नतीजे?
इमरजेंसी (Emergency) के खिलाफ जमकर देशभर में जेपी ने अभियान चलाया और कांग्रेस को हराकर जनता पार्टी की सरकार बनवाने में सफल रहे. मोरारजी देसाई (Morarji Desai) प्रधानमंत्री बने। छपरा लोकसभा सीट से उतरे लालू के युवा चेहरे ने भी चुनाव में कमाल दिखाया। इस चुनाव में छपरा सीट पर 6,58,829 वोटर्स थे. छपरा लोकसभा सीट पर 73.89% वोटिंग हुई और कुल 4,83,198 वोट पड़े। इनमें से युवा नेता लालू ने 4,15,409 यानी 85.97% वोट हासिल किए। कांग्रेस के उम्मीदवार राम शेखर प्रसाद सिंह को सिर्फ 8.61 % वोट मिले। सीपीआई के शिवबचन सिंह को 4.39% वोट मिले।
बन गए थे कई महा-रिकॉर्ड
29 साल के लालू संसद पहुंचने वाले सबसे युवा नेताओं में शामिल थे। बिहार में जनता पार्टी और सहयोगी दलों ने इस चुनाव में 54 में से सभी 54 सीटों पर जीत हासिल की थी। वही कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं गई। देशभर में भी कांग्रेस को सिर्फ 189 सीटें मिलीं और जनता पार्टी गठबंधन को 345 सीटें मिली।
सन 1980 में लालू यादव जनता पार्टी से अलग हो गए। इसके बाद वीपी सिंह (VP Singh) की अगुवाई वाले जनता दल की राजनीति शुरू हुई। लालू ने मुस्लिम-यादव वोटों पर फोकस किया। 1990 के चुनाव में जनता दल को बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल हुई। जिसके बाद लालू को पहली बार मुख्यमंत्री का पद मिला। लालू 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
इस दौरान चारा घोटाले (fodder scam) मामले में घिरने पर लालू प्रसाद यादव के उल्टे दिन शुरु हो गए। अब जनता दल से अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी ‘आरजेडी’ (RJD) बना ली और अपनी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) को मुख्यमंत्री बनवा दिया। इसके बाद में 2004 से 2009 तक केंद्र की यूपीए सरकार में लालू रेल मंत्री भी बने रहे।
आखिरी बार कब चुनाव लड़े लालू?
लालू ने 2009 में आखिरी बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। लालू दो लोकसभा सीटों से उतरे थे. सारण से लालू जीत गए लेकिन पाटलीपुत्र से अपने पुराने साथी रंजन यादव से हार गए। 2013 में चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद लालू के चुनाव लड़ने पर 11 साल के लिए रोक लग गई।
इसके बाद, 2015 में लालू-नीतीश साथ थे और महागठबंधन को बिहार में बड़ी जीत मिली लेकिन बाद में नीतीश के एनडीए में जाने के बाद फिर आरजेडी विपक्ष में आ गई। बिहार की राजनीति में लालू के करिश्माई व्यक्तित्व और चुटिले अंदाज का अलग ही प्रभाव है।
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