सूमो पहलवानों के बारे में आपने और हमने सभी ने काफी सुना है। इनका नाम आते ही हमारे दिमाग में हष्ट-पुष्ट बलशाली पहलवान का चेहरा उभरकर सामने आता है। सूमो पहलवानी का क्रेज अधिकतर चीन और जापान जैसे देशों में होता है। लेकिन हम आपसे कहे भारत में भी सूमो पहलवान होते है तो शायद आपको आसानी से यकीन नहीं होगा। जी हां दोस्तों आप मानो या नहीं मानो, हम आपको भारत की ही एक महिला सूमो पहलवान के बारे में बता रहे है।
वर्ल्ड सूमो कुश्ती प्रतियोगिता में मिला 5वां स्थान
हम बात कर रहे है भारत की पहली और एकमात्र महिला सूमो पहलवान हेतल दवे के बारे में। हेतल दवे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूमो पहलवानी में भारत का नाम रोशन किया है। 30 की उम्र पार कर चुकी हेतल 76 किलोग्राम के आसपास वाले भारवर्ग में कुश्ती लड़ती है। उन्होंने साल 2009 में ताईवान में हुई वर्ल्ड सूमो कुश्ती प्रतियोगिता में 5वां स्थान प्राप्त किया था। जिसके बाद विश्वभर के मीडिया में उनका नाम तेजी से सुर्ख़ियों में आ गया और वह लोकप्रिय हो गई।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
कुछ समय की लोकप्रियता के बाद लोग हेतल को भूलने लगे। जिसके बाद आज यदि हम पूछे तो शायद ही उनका नाम किसी को पता होगा। आपको बता दे हेतल का नाम भारत की पहली महिला सूमो पहलवान के रूप में साल 2008 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया गया। हेतल इंटरनेशनल लेवल पर कई सारी प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। इसके बावजूद उन्हें उन्हीं के देश में वो सम्मान अभी तक नहीं मिला जिसकी वह हकदार है।
भारत में सूमो पहलवानी को प्राप्त नहीं है मान्यता
एक जानकारी के मुताबिक हमारे देश भारत में सूमो पहलवानी को मान्यता प्राप्त खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है। हेतल की गुमनामी के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है। इस वजह से हेतल कई बार बड़े टूर्नामेंट्स में देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाती। हेतल बताती है कि, जब वह किसी को अपना सूमो पहलवान के रूप में परिचय देती है तो वो लोग उन्हें सबसे पहले ऊपर से नीचे तक घूर कर देखते है। हेतल अपने परिवार के साथ मायानगरी मुंबई में रहती है।
मजबूरी में पुरुषों के साथ करना पड़ता है अभ्यास
सूमो कुश्ती से अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी ना कर पाने की वजह से हेतल प्रशिक्षक का काम भी करती है। वह अलग-अलग स्कूलों में जाकर छात्रों को कुश्ती और जूडो की ट्रेनिंग प्रोवाइड कराती है। हेतल बताती है कि, देश में उनके अलावा कोई अन्य महिला सूमो रेसलर नहीं होने की वजह से उन्हें मजबूरी में पुरुषों के साथ अभ्यास करना पड़ता है। साल 2008 में सूमो पहलवानी का सफर शुरू करने वाली हेतल 2 बार वर्ल्ड सूमो रेसलिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी है।
अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है हेतल
कुश्ती और जूडो की माहिर खिलाड़ी हेतल ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है। हेतल आज के मॉर्डन समय में भी सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय नहीं रहती है। जिसकी वजह से उनके बारे में मीडिया में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है। फिलहाल उनके आगे की योजनाओं के बारे में किसी के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन हमारा मानना है कि हेतल जैसी मजबूत महिलायें देश की अन्य लड़कियों के लिए एक प्रेरणास्रोत का काम कर सकती है।
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