ओलंपिक खेलों में हम पदकों की संख्या तो गिनने लगते है। जब दूसरे देशों की तुलना में हमारे पदकों की संख्या कम होती है तो हमारे खिलाड़ियों को कोसने लगते है। लेकिन उन्हें कोसने से क्या होगा, गलती तो हम सबकी है जो हमने कभी क्रिकेट के अलावा किसी और खेल को तवज्जो ही नहीं दी। क्यों हम अन्य खेलों से जुड़े देश के स्टार प्लेयर्स को भूल जाते है ? हम हमारे बच्चों को भी एथलेटिक्स के हीरोज के बारे में कम और क्रिकेटर्स के बारे में अधिक बताते है।
हमारे देश के पदकों की संख्या ओलंपिक गेम्स में जरूर बढ़ेगी। अगर हम हमारे बच्चों को क्रिकेट से हटकर अन्य दूसरे खेलों में भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे। हमारे देश का दुर्भाग्य ही है जो हम हमारे एथलेटिक्स के हीरोज को भुला बैठे है। आज इस कड़ी में हम आपको देश की उन 7 महिला एथलीट के बारे में बताने जा रहे है जिन्हें क्रिकेटरों के समकक्ष ख्याति मिलनी चाहिए थी। उनकी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन हम उन्हें लगभग भुला बैठे है।
कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari)
वेटलिफ्टिंग के खेल में कर्णम मल्लेश्वरी ने वर्ष 2000 के ओलंपिक गेम्स में 110 किग्रा वजन उठाकर देश को कांस्य पदक दिलाया था। इसी के साथ वह ओलिंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बन गई थी। यही नहीं उन्होंने 1994, 95 में 54 किग्रा भारवर्ग में विश्वचैंपियनशिप जीती थी।
पीटी उषा (P. T. Usha)
जानी-मानी महिला धावक पीटी उषा ने सन 1980 के ओलंपिक गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व किया। इसी के साथ वह ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे कम उम्र (16 वर्ष) की भारतीय स्प्रिंटर बनी। केरल में युवा एथलीटों के लिए स्कूल चला रही उषा के नाम एक टूर्नामेंट में 5 स्वर्ण पदक जीतने का विश्व रिकॉर्ड है।
अंजू बॉबी जार्ज (Anju Bobby George)
साल 2003 में पेरिस में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचने वाली अंजू बॉबी जॉर्ज को अधिकतर लोग भुला चुके है। उन्होंने साल 2005 में आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल और साल 2018 में विश्व एथेलेटिक्स के फाइनल में गोल्ड जीतकर बड़ा कारनामा किया था।
दीपा करमाकर (Dipa Karmakar)
साल 2016 रियो ओलिंपिक गेम्स में हिस्सा लेकर दीपा 52 वर्ष के भारतीय जिमनास्ट के इतिहास में ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट थी। भले ही इस टूर्नामेंट में वह कोई पदक न जीत पाई हो। लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन (स्कोर 15.066) से दुनियाभर के जिमनास्ट प्रेमियों को प्रभावित किया।
दीपिका कुमारी (Deepika Kumari)
एक समय दुनिया की नंबर 1 तीरंदाज रह चुकी दीपिका कुमारी ने साल 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में एकल व टीम प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया था। आर्चरी के खेल में उन्होंने देश के लिए कई बढ़ी उपलब्धियां दर्ज की है। पदम् श्री और अर्जुन अवॉर्ड से नवाजी जा चुकी दीपिका देश का गर्व है।
सुधा सिंह (Sudha Singh)
ओलिंपिक में 3000 मीटर स्टीपलचेज में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी सुधा सिंह एक बेहतरीन एथलीट है। उन्होंने साल 2016 में गुआंगझू एशियाई खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (समय: 9:55:67) कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।
टिंटु लुका (Tintu Lukka)
800 मीटर की रेस में राष्ट्रीय रिकॉर्ड रखने वाली इंडियन ट्रैक और फील्ड एथलीट टिंटू लुक्का ने साल 2012 और 2016 के ओलंपिक गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व किया था। वह एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कुल 6 मेडल जीतने का कारनामा कर चुकी है।
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