मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने का एलन मस्क का सपना अब शायद पूरा हो जाए। दरअसल, वैज्ञानिकों ने मंगल पर बड़ी मात्रा में पानी खोज निकाला हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि मंगल ग्रह पर यह पानी का विशाल भंडार वल्लेस मरीनर्स की सतह के सिर्फ तीन फीच नीचे मिला हैं। बता दे 3862 किमी इलाके में फैली वल्लेस मरीनर्स एक बहुत बड़ी घाटी है। कैंडोर चाओस घाटी का हिस्सा वल्लेस मरीनर्स नीदरलैंड के आकार की है।
वैज्ञानिकों ने उम्मीद व्यक्त की है कि इस घाटी में सबसे ज्यादा पानी मिल सकता है। शोध में सहायक लेखक अलेक्सी मलाखोव का कहना है कि वल्लेस मरीनर्स का मध्यवर्ती हिस्सा पानी से भरा है। धरती पर बर्फ से ढके इलाके भी कुछ इसी तरह से रहे हैं। यहां पर तापमान कम होता है जिस वजह से सूखी हुई जमीन के नीचे बर्फ जमी रहती है।
लाल ग्रह पर पहली बार मिले पानी के सबूत
लाल ग्रह यानी मंगल ग्रह पर पहली बार साल 2006 में पानी की खोज की गई थी। उस दौरान अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुछ तस्वीरें जारी कर मंगल ग्रह पर पानी के सबूत दिए थे। इन तस्वीरों से पता चला कि साल 1999 और 2001 के बीच लिक्विड वॉटर मंगल ग्रह पर था। 31 जुलाई 2008 को नासा के फोनिक्स मार्स लैंडर ने मंग्रल ग्रह पर बर्फ मौजूद होने की पुष्टि की थी। इसमें भी धरती पर मौजूद पानी में पाए जाने वाले तत्व पाए गए हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मंगल ग्रह पर कई सूख चुकी घाटियां और नदियों के क्षेत्र मौजूद हैं। जिनसे अंदाजा लगाया जाता है कि वहां पर कभी पानी बहता था। अभी तक जो पानी पाया गया था वह बहुत गहराई में बर्फ के रूप में था। अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मात्र तीन फीट नीचे बर्फ मौजूद होने की खोज की हैं। इन सब खोज के बाद अरबपति एलन मस्क की मंगल ग्रह पर इंसानों की बस्तियां बसाने की चाहत है। इसके लिए यह खोज एक अच्छी खबर है।
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