कोरोना वायरस हवा के जरिये भी प्रसारित होता हैं, इस बात को अब भारत सरकार ने भी पूरी तरह से स्वीकार कर लिया है। सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने एयरोसोल और ड्रॉपलेट्स को हवा में वायरस फैलने का मुख्य कारण बताया है। कहा गया है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स हवा में दो मीटर तक जा सकते है, वही एयरोसोल उन ड्रॉपलेट्स को 10 मीटर तक आगे बढ़ा सकता है। जिससे संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है।
कहा गया है कि ऐसा कोई संक्रमित व्यक्ति जिसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हो, वह भी ‘वायरल लोड’ बनाने लायक पर्याप्त ड्रॉपलेट्स छोड़ सकता है जो कई अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते है। इन सभी कारणों से साफ हो जाता है कि कोरोना से बचाव के लिए 10 मीटर की दूरी भी अब काफी नहीं है।
जरुरी हैं कोविड नियमों का पालन
वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति के सांस छोड़ने, बोलने, गाने, हंसने, खांसने और छींकने से लार और नाक से निकलने वाले स्राव से वायरस निकलता है। ऐसे में संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन बहुत जरुरी है। जिसके तहत मास्क पहनें, सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाएं और हाथ धोते रहें। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के अंदर लक्षण दिखने में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है।
नई सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक, ऐसी जगहें जो बंद है और जहां हवा नहीं आती हो, वहां ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल कोरोना वायरस के फैलाव के जोखिम को काफी बढ़ा देते हैं। विषेशज्ञों का हमेशा से यही कहना है कि वेंटिलेशन वाले जगहों पर और आउटडोर जगहों पर संक्रमण फैलने का खतरा कम रहता है।
साफ-सफाई का रखें विशेष ध्यान
सरकार ने नई गाइडलाइन में कहा हैं कि लोगों को उन जगहों को नियमित रूप से साफ रखना होगा, जिनके संपर्क में वह सबसे ज्यादा बार आते है। इसमें दरवाजे का हैंडल, लाइट स्विच, टेबल, कुर्सी आदि हो सकते है। ग्लास, प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील पर वायरस लंबे समय तक रह सकता है। ऐसे में यदि इन चीजों को नियमित साफ रखना चाहते है तो ब्लीच और फिनाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। संक्रमण से बचाव के लिए इनकी नियमित सफाई जरुरी है।
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