Commowealth Games 2022: बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्टार भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने कुश्ती में स्वर्ण जीतकर तिरंगा फहराया। उन्होंने फाइनल मुकाबले में अपने चिर परिचित अंदाज में कनाडा के पहलवान को धराशायी किया। पूनिया ने 65 किलोग्राम भारवर्ग में विपक्षी पहलवान को संभलने तक का अवसर नहीं दिया। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में तीसरी बार पदक जीता हैं। इससे पहले पूनिया ने 2014 में रजत और 2018 में स्वर्ण पदक जीता था।
पहले मुकाबले में बजरंग ने नॉरू के लॉवे बिंघम को 4-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। क्वार्टर फाइनल में मॉरीशस के जीन गुइलिन को 6-0 से हरा सेमीफाइनल में पहुंचे। सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के जॉर्ज रैम को 10-0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई।
HATTRICK FOR BAJRANG AT CWG 🔥🔥🔥
Tokyo Olympics 🥉medalist, 3 time World C’ships medalist @BajrangPunia is on winning streak 🔥🔥 to bag his 3rd consecutive medal at #CommonwealthGames 🥇 🥇🥈
Utter dominance by Bajrang (M-65kg) to win 🥇 #Cheer4India #India4CWG2022
1/1 pic.twitter.com/MmWqoV6jMw— SAI Media (@Media_SAI) August 5, 2022
कनाडा के पहलवान को किया धराशायी
बजरंग ने फाइनल में कनाडा के पहलवान को चित कर दिया। उनके हर दांव पर देश में तालियां बज रही थी। जब उन्होंने कनाडा के पहलवान लछलन मैकनील को 9-2 अंक के अंतर से हराया तो भारत में बैठे बजरंग के परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे को बधाई दी।
बजरंग के भाई ने कहा- मेरा भाई शेर की तरह लड़ा
बजरंग पूनिया के भाई हरेंद्र पूनिया ने कहा कि बजरंग ने कड़ी मेहनत की थी। ओलंपिक में चोट के कारण जो कमी रह गई थी, उसे राष्ट्रमंडल खेलों में पूरा कर दिया। मेरा भाई शेर की तरह लड़ा और जीत दर्ज की। शुरुआत से लेकर फाइनल तक के सफर में बजरंग ने विपक्षी पहलवानों को अंक लेने का कोई मौका तक नहीं दिया। फाइनल में कनाडा का पहलवान महज दो अंक जुटा सका। लाडले ने दिखा दिया कि वह सर्वश्रेष्ठ पहलवान है।
पिता ने कहा- बजरंग बेटा की काबिलियत पर पूरा भरोसा
बजरंग के पिता बलवान पूनिया ने कहा कि उन्हें लाडले की काबिलियत पर पूरा भरोसा है। बजरंग जब भी मैदान में उतरा, खाली हाथ कभी नहीं लौटा।ओलंपिक में चोट के कारण बजरंग स्वर्ण पदक जीतने से चूक गया था। उस कमी को यहां पूरा कर दिया। आगे भी देश की झोली में स्वर्ण पदक डालता रहेगा। उसने उम्मीद के मुताबिक आजादी के महीने में विदेशी जमीन पर भी जीत का तिरंगा फहराया।