बलबीर सिंह सीनियर के निधन से भारतीय हॉकी को अपूरणीय क्षति हुई है। बीते सोमवार (25 मई 2020) को बलबीर सिंह सीनियर 96 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान बलवीर सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें पंजाब के मोहाली के एक अस्पताल में एडमिट करवाया गया था, वही पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह गत 8 मई को तबीयत बिगड़ने की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए थे जिसमें वह वेंटिलेटर पर ही रहे।
बेटी और नाती के साथ चंडीगढ़ में रहते थे बलबीर
वेंटिलेटर पर रहने के दौरान उन्हें तीन बार हार्ट अटैक आया और सोमवार सुबह 6.30 बजे उनकी सांसे रुक गई। जानकारी के मुताबिक बलबीर सिंह 18 मई से अर्ध चेतन अवस्था में थे और उनके दिमाग में खून का थक्का जम गया था। उनके फेफड़ों में निमोनिया और शरीर में तेज बुखार की समस्या थी। उनके निधन की पुष्टि मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के निदेशक अभिजीत सिंह ने की। चंडीगढ़ में बलबीर अपनी बेटी सुखबीर कौर और नाती कबीर के साथ रहते थे।
आज भी कायम है हेलसिंकी ओलंपिक का रिकॉर्ड
देश के महान एथलीटों में शुमार रहे बलबीर सिंह सीनियर की एक बेटी सुखबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर है। जिनमें से बेटी सुखबीर के साथ वह रहते थे और तीनों बेटे कनाड़ा में रहते थे। बलबीर सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की ओर से चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे। उनका हेलसिंकी ओलंपिक फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का महान रिकॉर्ड आज भी कायम है।
कप्तान और कोच की भूमिका में टीम का नेतृत्व
लंदन ओलंपिक 1948, हेलसिंकी ओलंपिक 1952 और मेलबर्न ओलंपिक 1956 में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे बलबीर सिंह सीनियर को सन 1956 में भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया था। यही नहीं वह वर्ल्ड कप 1971 में ब्रॉन्ज और वर्ल्ड कप 1975 में गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच भी रहे। उनका निधन भारतीय हॉकी जगत के लिए बड़ी क्षति है जिसे आने वाले समय में भरा जाना आसान नहीं होगा।