Ayodhya Laxman Kila Mandir: उत्तर प्रदेश में स्तिथ धर्म नगरी अयोध्या में ‘लक्ष्मण किला’ बेहद रहस्यमयी मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में झूठे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लक्ष्मण किले में झूठी कसम खाने का मतलब अपनी शामत लाना है। मान्यता है कि इस मंदिर में इस तरह की दैवीय शक्तियां निवास करती है, जो किसी न किसी रूप में झूठ बोलने वाले को परेशान करती हैं। इससे उसका राज खुल जाता है।
‘लक्ष्मण किला’ वहीं पवित्र स्थान है, जहां Shri Ram के दिए वचन का पालन करते हुए लक्ष्मण जी ने सरयू नदी में अपने मानव शरीर का त्याग किया था। इसके बाद लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर शेषावतार पुनः धारण किया था। मौजूदा समय में यह हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में विख्यात है।
रसिक उपासना का सबसे प्राचीन पीठ
एक मीडिया रिपोर्ट्स में आचार्य पीठ और Laxman Kila Mandir के अधिकारी सूर्य प्रकाश शरण के हवाले से लिखा गया है कि अंग्रेजों ने स्वामी युगलानंद शरण महाराज को जमीन सौंपी थी। उसी जमीन पर सन 1865 में रीवा (मध्यप्रदेश) के दीवान ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे आज ‘लक्ष्मण किला मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर रसिक उपासना का सबसे प्राचीन पीठ है। यहां वह सीता के पति हैं, सखियों के जीजा हैं और जगत के स्वामी हैं।
हर साल विवाहोत्सव में जनकपुर की सखियां अयोध्या आती हैं और विवाह के गीत गाती हैं। उनकी उपासना में श्रृंगार का भाव प्रमुख है। यहां पर भगवान श्री राम का बाल रूप भी विराजमान हैं। भगवान राम को श्रृंगार के बाद दर्पण दिखाने की प्रथा है। यहां किशोरी जी व लक्ष्मण जी की भी मूर्ति स्थापित है।
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दूल्हे के रूप में होती है श्री राम की उपासना
अयोध्या में स्तिथ इस लक्ष्मण किला मंदिर में भी राम रसिकों की खास और दुर्लभ पूजा देखी जा सकती है। आचार्य जीवाराम के शिष्य स्वामी युगलानंद शरण महाराज की यह तपोस्थली है। दशहरे के अलावा सालभर यहां प्रभु Shri Ram को शस्त्र धारण नहीं करवाया जाता है। उनकी उपासना में श्रृंगार का भाव प्रमुख हैं। राम रसिक उपासना के संत यहां भगवान राम की उपासना दूल्हे के रूप करते है। मंदिर में विवाह के पदों का गायन होता है।