Cheetah in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में आज नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़ दिया गया हैं। आजादी से पहले के भारत को ‘चीतों का घर’ कहा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे भारत की धरती से चीते विलुप्त होते चले गए। आजादी के वक्त 1947 में देश में आखिरी तीन चीतों का शिकार मध्य प्रदेश के कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने किया था। जिसकी फोटोज आज भी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी में हैं।
अब 75 साल बाद आठ चीतों को नामीबिया से भारत की धरती पर लाया गया है। ऐसे में आज हम आपको चीतों की सारी खासियत बताएंगे। जानते हैं…
चीते की 120 किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार
चीते के बारे में कहा जाता है कि इनकी अधिकतम रफ्तार 120 किमी प्रति घंटे की हो सकती है। अपनी सबसे तेज रफ्तार के समय चीता 23 फीट यानी करीब सात मीटर लंबी छलांग लगा सकता है। चीता हर सेकेंड में चार छलांग लगाता है। चीते की रिकॉर्ड रफ्तार अधिकतम एक मिनट के लिए रह सकती है। यह अपनी फुल स्पीड से सिर्फ 450 मीटर दूर तक ही दौड़ सकने में सक्षम होता हैं।
पतली हड्डियों से बनी होती हैं चीते की खोपड़ी
चीते का सिर बाघ, शेर, तेंदुए और जगुआर की तुलना में काफी छोटा होता है। इससे तेज रफ्तार के दौरान उसके सिर से टकराने वाली हवा का प्रतिरोध काफी कम हो जाता है। पतली हड्डियों से बनी चीते की खोपड़ी का वजन भी कम होता हैं। चीते के कान बहुत छोटे होते हैं जो हवा के रेजिस्टेंस को कम करते हैं।
चीते के शरीर का तामपमान 38 °C होता है
1973 में हावर्ड की एक रिसर्च के मुताबिक आमतौर पर चीते के शरीर का तामपमान 38 °C होता हैं। लेकिन रफ्तार में यह 40.5 °C तक पहुंच जाता हैं। इस तापमान अथवा गर्मी को चीते का दिमाग झेल नहीं पाता और वह अचानक से दौड़ना बंद कर देता हैं। तेज रफ्तार से दौड़ने की वजह से चीते की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की काफी जरुरत होती हैं। चीते के नथुनों के साथ श्वास नली भी मोटी होती है, ताकि वह कम बार सांस लेकर भी ज्यादा ऑक्सीजन ले सके।
कई मील दूर तक देख सकता है चीता
आंख सीधी दिशा में होने की वजह से चीता कई मील दूर तक आसानी से देख सकने में सक्षम होता हैं। चीते की आँखों में इमेज स्टेबिलाइजेशन सिस्टम (Image Stabilization System) होता हैं। जिसकी मदद से ये तेज रफ्तार में दौड़ने के दौरान भी अपने शिकार पर फोकस बनाये रखते हैं।
चीते के पंजे भी होते हैं खतरनाक
चीते के पंजे घुमावदार और ग्रिप वाले होते हैं। जिसकी मदद से वह दौड़ते वक्त जमीन पर ग्रिप बनाता है और आगे की ओर आसानी से जंप कर पाता है। पंजे की मदद से ही वो शिकार को कसकर जकड़े रख पाता है। 31 इंच यानी 80 सेंटीमीटर तक लंबी चीते की पूंछ अचानक मुड़ने पर बैलेंस बनाने में सहायक हैं।
एक मिनट के अंदर करता शिकार
शेर के मुकाबले में चीते का दिल साढ़े तीन गुना बड़ा होता है। जिस वजह से यह दौड़ते वक्त भरपूर ऑक्सीजन ले पाता हैं। यह तेजी से पूरे शरीर में ब्लड को पंप करता है और इसकी मांसपेशियों तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। कहा जाता है कि चीता अपने शिकार का पीछा अक्सर 200-230 फीट यानी 60-70 मीटर के दायरे में ही करता है। यदि वह इस दायरे में शिकार को पकड़ पाने में असफल रहता हैं तो उसका पीछा छोड़ देता हैं।
चीता अपने पंजे की मदद से शिकार की पूंछ पकड़कर लटक जाता है। या तो पंजे के जरिए शिकार की हडि्डया तोड़ देता है। अपने शिकार को पकड़ने के बाद चीता तकरीबन पांच मिनट तक उसकी गर्दन को काटता है ताकि वो मर जाए। हालांकि चीते से छोटे शिकार पहली बार में ही मर जाते हैं।
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