ट्रायथलॉन (Triathlon) एथलेटिक्स का ही एक हिस्सा हैं। यह एक बहु-खेल प्रतिस्पर्धा हैं, जिसमें तैराकी, साइकिल चालन और दौड़ना शामिल होता है। एथलीट को इस प्रतिस्पर्धा में बारी-बारी से नियमित अंतराल में तीन अलग-अलग गतिविधियों में हिस्सा लेना होता है। जो भी एथलीट सबसे कम समय में इन प्रतिस्पर्धाओं को पार करता है, वह मेडल का दावेदार हो जाता है। चीन में होने जा रहे एशियन गेम्स में भी यह स्पर्धा होगी, जिसमें भारत की तरफ से सिर्फ एक महिला एथलीट चुनौती पेश करेगी। उस महिला एथलीट का नाम प्रज्ञा मोहन (Pragnya Mohan) हैं। प्रज्ञा ही ट्रायथलॉन में भारत की राष्ट्रीय चैंपियन हैं।
जानें किस तरह होती है ट्रायथलॉन स्पर्धा
ट्रायथलॉन (Triathlon) एक मल्टीस्पोर्ट दौड़ है जिसमें तैराकी, साइकिल चलाना और विभिन्न दूरी तक दौड़ना शामिल है। ट्रायएथलीट सबसे तेज समय के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। ट्रायथलॉन ग्रीक भाषा का शब्द हैं। इसकी शुरुआत 1970 के दशक के अंत में दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया में हुई थी। इस तरह की स्पर्धा में एथलीट को चोट लगने का खतरा भी काफी रहता है। इस वजह से एथलीट को समय-समय पर प्रशिक्षण, वर्कआउट और स्तिथि के हिसाब से ढलने की जरुरत होती हैं।
क्या हैं ट्रायथलॉन के नियम?
ट्रायथलॉन (Triathlon) एक व्यक्तिगत खेल है, जिसमें एक एथलीट अपने सर्वश्रेष्ठ समय के लिए स्पर्धा कर रहा होता है। इस दौरान उसे किसी भी बाहरी व्यक्ति से किसी भी तरह की मदद लेने की अनुमति नहीं होती हैं। हालांकि, दौड़ के दौरान वह निर्धारित असिस्टेंस के द्वारा खाने-पीने की चीजें नियमानुसार ले सकते है।
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पांच भागो में बांटा गया हैं ट्रायथलॉन
- तैराकी की शुरुआत से पहले बदलाव की शुरुआत तक (तैरने का समय);
- पहले बदलाव की शुरुआत से पहले बदलाव के अंत तक (T1 समय);
- साइकिल चलाने की शुरुआत से लेकर साइकिलिंग लेग के अंत तक (साइकिल चलाने का समय);
- दूसरे बदलाव की शुरुआत से दूसरे बदलाव के अंत तक (T2 समय);
- अंत में दौड़ की शुरुआत से दौड़ के अंत तक, जिस समय ट्रायथलॉन पूरा होता है।
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