मिन्नू मानी (Minnu Mani) महिला प्रीमियर लीग (WPL 2023) में दिल्ली कैपिटल्स की सदस्य हैं। आदिवासी परिवार से आने वाली मिन्नू मानी का क्रिकेटर बनने का सफर संघर्षपूर्ण रहा हैं। उनके इस सफर में कई तरह की बाधाएं सामने आई लेकिन मिन्नू ने संघर्ष नहीं छोड़ा और आज डब्ल्यूपीएल में दिल्ली के लिए खेल रही हैं। दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें ऑक्शन में उनके बेस प्राइस 30 लाख रुपये की कीमत में खरीदा था। जिसके बाद अब वह दिल्ली के लिए बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
मिन्नू मानी के संघर्ष को सलाम
गरीब परिवेश से आने वाली मिन्नू मानी केरल के वायनाड जिले की हैं। वह इस राज्य से आने वाली डब्ल्यूपीएल में एकमात्र क्रिकेटर है। मिन्नू ने अपने जीवन में वो सब सहा जो समाज में क्रिकेट खेलती हुई लड़कियों को सुन्ना पड़ता है। लड़कों का खेल मने जाने वाले क्रिकेट में मिन्नू ने बचपन में कई तरह के ताने सुने। क्रिकेट खेलने की शुरुआत में मिन्नू और उनके परिवार को कोई सहायता नहीं मिली। क्लास आठ में मिन्नू ने क्रिकेट की कोचिंग लेना शरू कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने घर पर भी झूठ बोलना शुरू कर दिया था। वह स्कूल में एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बनाकर क्रिकेट खेलने जाने लगी थी।
मिन्नू बताती है कि मैदान उनके घर से करीब 42 किलोमीटर दूर होता था। उन्हें वहां तक पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लगता था। वह चार बसों को बदला करती थी। ऐसे में थकान भी शरीर पर हावी होती थी। वह सुबह चार बजे उठकर मां के साथ खाना बनाती थी। इसके बाद पौने सात बजे घर छोड़कर नौ बजे मैदान पर पहुंचती थीं। दो बजे तक अभ्यास करने के बाद वह वापस घर लौटती थीं। लेकिन उनकी ऊर्जा ने हताशा को हावी नहीं होने दिया।
कुली की बेटी हैं मिन्नू मानी
ऑलराउंडर मिन्नू मानी के पिता कुली का काम करते हैं। वहीं मां गृहिणी है। उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं रही है। मिन्नू बताती है कि उन्हें क्रिकेट से सिर्फ रविवार को आराम मिलता था। जब उन्हें स्थानीय स्तर पर सफलता मिलने लगी तो उनके पैरेंट्स ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता ने उनको क्रिकेट खिलाने के लिए लोन भी लिया और प्रोत्साहित भी किया। ऐसे में अब वह अपरने परिवार की स्तिथि को सुधारना चाहती है।
बाएं हाथ की बल्लेबाज और दाएं हाथ की ऑफ स्पिनर मिन्नू बताती हैं कि उनका सपना देश के लिए खेलना है। वह भारत ए के लिए बांग्लादेश के खिलाफ खेल चुकी हैं। यहां से उन्हें पांच लाख रुपये मैच फीस मिली थी। जिससे न्होंने गांव में माता-पिता के लिए घर बनवाने का काम शुरू किया। लेकिन 2018-19 में आई बाढ़ ने इसे खत्म कर दिया। बांग्लादेश के खिलाफ मिली मैच फीस से उन्होंने इसे दोबारा बनवाया है।
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